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BGDG 172 जेंडर संवेदनशीलता: समाज और संस्कृति| Latest Solved Assignment of IGNOU

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BGDG 172 जेंडर संवेदनशीलता: समाज और संस्कृति| Latest Solved Assignment of IGNOU

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BGDG 172 जेंडर संवेदनशीलता: समाज और संस्कृति असाइनमेंट समाधान में जेंडर के मुद्दों, समाज में जेंडर की भूमिकाओं, और संस्कृति में जेंडर संवेदनशीलता के महत्व पर विस्तार से चर्चा की जाती है। यह समाधान IGNOU दिशानिर्देशों के अनुसार तैयार किया गया है और हस्तलिखित असाइनमेंट विकल्प भी उपलब्ध हैं।
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  • जेंडर संवेदनशीलता के मूलभूत सिद्धांत।
  • समाज में जेंडर भूमिकाओं का प्रभाव।
  • संस्कृति में जेंडर असमानताओं की पहचान।
  • IGNOU दिशानिर्देशों के अनुसार समाधान, हस्तलिखित असाइनमेंट विकल्प उपलब्ध।
Category : BACHELOR'S (HONOURS) DEGREE PROGRAMMES
Sub Category : स्नातक उपाधि संस्कृत (BASKH) (बी ए एस के एच )
Products Code : 6.11-BASKH-ASSI
HSN Code : 490110
Language : English, Hindi
Author : BMAP EDUSERVICES PVT LTD
Publisher : BMAP EDUSERVICES PVT LTD
University : IGNOU (Indira Gandhi National Open University)
Pages : 20-25
Weight : 157gms
Dimensions : 21.0 x 29.7 cm (A4 Size Pages)



Details

BGDG 172 जेंडर संवेदनशीलता: समाज और संस्कृति असाइनमेंट समाधान, समाज में जेंडर असमानताओं और संवेदनशीलता को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करता है। जेंडर संवेदनशीलता का उद्देश्य समाज में मौजूद जेंडर असमानताओं को पहचानना और उन्हें समाप्त करने के लिए जागरूकता बढ़ाना है। यह असाइनमेंट समाधान IGNOU दिशानिर्देशों के अनुसार तैयार किया गया है और इसमें हस्तलिखित असाइनमेंट विकल्प भी उपलब्ध हैं।

जेंडर संवेदनशीलता (Gender Sensitization):

जेंडर संवेदनशीलता से तात्पर्य है उन सामाजिक, मानसिक और सांस्कृतिक मान्यताओं को चुनौती देना, जो लिंग आधारित भेदभाव को बढ़ावा देती हैं। यह असाइनमेंट समाधान जेंडर संवेदनशीलता को बढ़ाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित करता है ताकि समाज में लिंग समानता और जेंडर न्याय सुनिश्चित किया जा सके।

  1. समाज में जेंडर भूमिकाएँ (Gender Roles in Society):
    समाज में जेंडर की भूमिका तय करती है कि किसी विशेष लिंग के व्यक्तियों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं। ये भूमिकाएँ पारंपरिक और सांस्कृतिक मान्यताओं पर आधारित होती हैं, जो समय के साथ बदलती रहती हैं। उदाहरण के तौर पर, पुरुषों को शक्ति और अधिकार से जुड़ी भूमिकाएँ दी जाती हैं, जबकि महिलाओं को परंपरागत रूप से देखभाल और घर के कामों में माहिर माना जाता है।

  2. जेंडर असमानताएँ (Gender Inequalities):
    समाज में जेंडर असमानताएँ उत्पन्न होती हैं जब एक लिंग को दूसरे लिंग के मुकाबले अधिक अवसर, अधिकार और लाभ मिलते हैं। उदाहरण के रूप में महिलाओं को शिक्षा, कार्यस्थल पर समान अवसरों, या राजनीतिक भागीदारी में पुरुषों से पीछे रखा जाता है। इन असमानताओं को पहचानना और जेंडर समानता को बढ़ावा देना जरूरी है।

संस्कृति में जेंडर संवेदनशीलता (Gender Sensitization in Culture):

संस्कृति का जेंडर पर गहरा प्रभाव होता है, क्योंकि यह निर्धारित करता है कि लोग लिंग और जेंडर पहचान को किस रूप में समझते हैं और व्यक्त करते हैं। विभिन्न संस्कृतियाँ लिंग आधारित भेदभाव को विभिन्न तरीके से मान्यता देती हैं। संस्कृति में जेंडर संवेदनशीलता लाने के लिए, समाज को पारंपरिक विचारों को चुनौती देने और जेंडर समानता के प्रति एक नया दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, भारतीय संस्कृति में महिलाओं को लेकर कई परंपराएँ हैं जो जेंडर असमानता को बढ़ावा देती हैं, लेकिन समय के साथ इन प्रथाओं में बदलाव आ रहा है।

  1. महिला सशक्तिकरण (Women's Empowerment):
    महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और उन्हें अपने निर्णय लेने का स्वतंत्रता देना है। यह कदम महिलाओं के शिक्षा, स्वास्थ्य, कार्य, और राजनीति में समान अधिकारों के साथ न्याय सुनिश्चित करने के लिए उठाया जाता है। यह सशक्तिकरण न केवल महिलाओं के लिए बल्कि समग्र समाज के लिए लाभकारी है।

  2. समाज में बदलाव (Changing Society):
    समाज में जेंडर संवेदनशीलता लाने के लिए बदलाव की आवश्यकता है। यह बदलाव न केवल सरकारी नीतियों द्वारा बल्कि समाज के प्रत्येक सदस्य के माध्यम से आना चाहिए। शिक्षा, मीडिया और समाजिक जागरूकता अभियानों के माध्यम से जेंडर संवेदनशीलता को बढ़ावा दिया जा सकता है। यह बदलाव धीरे-धीरे सामाजिक धाराओं को बदल सकता है और लिंग समानता की दिशा में समाज को आगे बढ़ा सकता है।

जेंडर शिक्षा का महत्व (Importance of Gender Education):

जेंडर संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए जेंडर शिक्षा का एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह शिक्षा व्यक्तियों को यह सिखाती है कि लिंग भेदभाव के कारण समाज में कितनी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं और इन समस्याओं का समाधान कैसे किया जा सकता है। शिक्षा के माध्यम से हम लोगों को यह सिखा सकते हैं कि सभी लिंगों को समान अधिकार मिलना चाहिए और लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करना चाहिए।

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