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Category | : BACHELOR'S (HONOURS) DEGREE PROGRAMMES |
Sub Category | : स्नातक उपाधि संस्कृत (BASKH) (बी ए एस के एच ) |
Products Code | : 6.11-BASKH-ASSI |
HSN Code | : 490110 |
Author | : BMAP EDUSERVICES PVT LTD |
Publisher | : BMAP EDUSERVICES PVT LTD |
University | : IGNOU (Indira Gandhi National Open University) |
Pages | : 20-25 |
Weight | : 157gms |
Dimensions | : 21.0 x 29.7 cm (A4 Size Pages) |
BPYG 171 व्यावहारिक नैतिकता पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को नैतिक और व्यावसायिक निर्णयों में सिद्धांतों और नैतिक मूल्य के महत्व से परिचित कराना है। इस पाठ्यक्रम में उन सिद्धांतों और मूल्यों का अध्ययन किया जाता है जो जीवन के विभिन्न पहलुओं में नैतिक रूप से सही निर्णय लेने में सहायक होते हैं। असाइनमेंट समाधान में नैतिक सिद्धांतों, व्यावसायिक नैतिकता, और नैतिक दुविधाओं पर गहन चर्चा की गई है।
नैतिक सिद्धांतों का उद्देश्य यह समझना है कि किसी भी कार्य को सही या गलत के रूप में कैसे परखा जा सकता है। कुछ प्रमुख नैतिक सिद्धांत हैं:
नैतिकता का परिणामवाद (Consequentialism): इस सिद्धांत के अनुसार, किसी कार्य की नैतिकता का मूल्यांकन इसके परिणाम से होता है। अगर किसी कार्य के परिणाम अच्छे होते हैं, तो वह कार्य नैतिक रूप से सही होता है। उदाहरण के तौर पर, उपयोगितारवाद (Utilitarianism) इस सिद्धांत का एक प्रमुख रूप है।
कर्तव्यपरक नैतिकता (Deontology): यह सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि कर्तव्यों और सिद्धांतों के पालन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इस सिद्धांत के अनुसार, किसी कार्य का नैतिक मूल्य उसके परिणामों पर निर्भर नहीं करता, बल्कि उस कार्य को कर्तव्य के रूप में देखा जाता है।
सहयोगात्मक नैतिकता (Virtue Ethics): इस सिद्धांत का मानना है कि एक व्यक्ति के चरित्र और गुणों का विकास उसके कार्यों को नैतिक रूप से सही बनाता है। इसमें, अच्छे चरित्र वाले व्यक्ति को नैतिक निर्णय लेने में आसानी होती है।
व्यावसायिक नैतिकता का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कामकाजी वातावरण में सिद्धांतों और नैतिक मूल्यों का पालन किया जाए। व्यवसायों में नैतिकता का पालन करने के लिए कंपनी के कर्मचारियों और प्रबंधन को निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए:
ईमानदारी (Honesty): कर्मचारियों को ईमानदारी से काम करना चाहिए और झूठी जानकारी या धोखाधड़ी से बचना चाहिए।
उचित व्यवहार (Fairness): सभी कर्मचारियों और ग्राहकों के साथ समान और निष्पक्ष व्यवहार करना चाहिए।
गोपनीयता (Confidentiality): कर्मचारियों को गोपनीय जानकारी को सार्वजनिक या अनधिकृत व्यक्तियों से साझा करने से बचना चाहिए।
सामाजिक उत्तरदायित्व (Social Responsibility): संगठन को समाज के प्रति जिम्मेदारियों को समझना चाहिए और पर्यावरणीय एवं सामाजिक पहलुओं को भी ध्यान में रखना चाहिए।
नैतिक दुविधाएँ वे स्थिति होती हैं जहां व्यक्ति को दो या दो से अधिक नैतिक सिद्धांतों के बीच चयन करना पड़ता है, जो एक दूसरे से टकराते हैं। उदाहरण स्वरूप:
कर्मचारी का हित बनाम कंपनी का हित: यदि कंपनी की आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने के लिए कर्मचारियों के बोनस में कटौती की जाती है, तो यह एक नैतिक दुविधा हो सकती है।
न्याय और करुणा: एक चिकित्सक को एक गंभीर मरीज को बचाने का प्रयास करना चाहिए, जबकि इलाज के लिए उनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।
इस प्रकार की दुविधाओं का सामना करते हुए व्यक्ति को सिद्धांतों और व्यक्तिगत मूल्यों का पालन करना आवश्यक होता है।
नैतिक निर्णय लेने में निम्नलिखित सिद्धांत सहायक हो सकते हैं:
प्रभाव का मूल्यांकन (Evaluation of Impact): किसी निर्णय के परिणामों का मूल्यांकन करना यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे सभी प्रभावित पक्षों के लिए उचित हैं।
समानता और निष्पक्षता (Equity and Fairness): सभी व्यक्तियों के लिए समान और निष्पक्ष निर्णय लेना।
नैतिकता के सिद्धांतों का पालन (Adherence to Ethical Principles): निर्णय लेते समय नैतिक सिद्धांतों और सिद्धांतों का पालन करना।
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