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Category | : FOUR-YEAR UNDERGRADUATE PROGRAMMES |
Sub Category | : कला स्नातक (संस्कृत) (BAFSK) |
Products Code | : FYUP-BAFSK-ISG |
HSN Code | : 490110 |
Language | : |
Author | : BMAP EDUSERVICES PVT LTD |
Publisher | : BMAP EDUSERVICES PVT LTD |
University | : IGNOU (Indira Gandhi National Open University) |
Pages | : 300 |
Weight | : 199 GM |
Dimensions | : 21.0 x 29.7 cm (A4 Size Pages) |
BSKS 191 भारतीय वास्तुकला प्रणाली पाठ्यक्रम, IGNOU (इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय) के तहत कला स्नातक (संस्कृत) के छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। यह पाठ्यक्रम छात्रों को भारतीय वास्तुकला प्रणालियों का व्यापक अध्ययन प्रदान करता है, जिसमें डिज़ाइन, निर्माण विधियाँ और पारंपरिक संरचनाओं का सांस्कृतिक महत्व समाहित है।
यह पाठ्यक्रम 300-350 पृष्ठ का गहन अध्ययन सामग्री प्रदान करता है, जो छात्रों को भारतीय वास्तुकला, इसके विकास और सांस्कृतिक संदर्भ के बारे में एक समग्र दृष्टिकोण प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। छात्र वास्तुकला के मूलभूत सिद्धांतों, धर्म और दर्शन के वास्तुकला पर प्रभाव, और पारंपरिक शिल्पकला की भूमिका के बारे में जानेंगे।
भारत की वास्तुकला हमेशा इतिहास, संस्कृति और धार्मिक प्रथाओं का मिश्रण रही है। प्राचीन मंदिरों और स्तूपों से लेकर मुग़ल काल के भव्य महलों और किलों तक, यह पाठ्यक्रम इन पहलुओं को विस्तार से कवर करता है। BSKS 191 भारतीय वास्तुकला प्रणाली पाठ्यक्रम यह सुनिश्चित करता है कि छात्र केवल सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त न करें, बल्कि वे वास्तुकला डिज़ाइनों का सांस्कृतिक महत्व के संदर्भ में विश्लेषण करने में भी सक्षम हों।
यह पाठ्यक्रम छात्रों को भारत की वास्तुकला के विकास और इसके आधुनिक संरचनाओं पर प्रभाव को समझने के लिए आवश्यक ज्ञान प्रदान करता है।
यह पुस्तक विशेष रूप से IGNOU के BSKS 191 पाठ्यक्रम की सभी प्रमुख विषयों को कवर करती है और छात्रों को परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए आवश्यक सामग्री प्रदान करती है। पुस्तक का अध्ययन करने से छात्रों को पारंपरिक भारतीय वास्तुकला के विभिन्न पहलुओं पर गहरी समझ मिलती है, जो परीक्षाओं में पूछे जाने वाले सिद्धांतों और डिज़ाइनों के प्रश्नों का सही उत्तर देने में मदद करेगा।
छात्रों को सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से वास्तुकला के महत्व का समझने में मदद मिलती है, जो परीक्षा में वास्तुकला के ऐतिहासिक विकास और उसके सांस्कृतिक प्रभाव से संबंधित प्रश्नों के लिए अत्यंत उपयोगी है। इस अध्ययन सामग्री के माध्यम से छात्र न केवल परीक्षा की तैयारी में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं, बल्कि भारतीय स्थापत्य कला के विस्तृत और सांस्कृतिक परिपेक्ष्य को भी समझ सकते हैं।
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